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कविता के बहाने ( कविता) कवि कुँवर नारायण समीक्षा 'कविता के बहाने'कविता में कविता की शक्ति पर प्रकाश डाला गया है। आज के समय में कविता के अस्तित्व के बारे में संशय हो रहा है।यह आशंका जताई जा रही है कि यांत्रिक ता के दबाव में कविता का अस्तित्व नहीं रहेगा।कवि का कहना है कि कविता में चिड़िया की उड़ान, फूलों की मुस्कान और बच्चों की क्रीड़ा तीनों का समावेश है।ये तीनों अपने आप में सुंदर होते हुए भी ससीम है परंतु कविता का क्षेत्र असीम है। उसके अंतर्गत जड़- चेतन,पशु-पक्षी, मनुष्य आदि सभी का व्याप हो सकता है।कविता- कविता की अपार संभावनाओं को टटोलने का अवसर देती है।कवि यह बताना चाहते हैं कि चिड़िया की उड़ान,फूलों की मुस्कान और बच्चों की क्रीड़ा जैसे एक प्राकृतिक,नैसर्गिक और स्वाभाविक क्रिया है वैसे ही कविता का सृजन भी एक नैसर्गिक और स्वाभाविक क्रिया है जो कभी समाप्त नहीं हो सकती। शिल्प- सौंदर्य:-1.कविता सरल एवं सहज खड़ी बोली में सशक्त अभिव्यक्ति है।2.कविता मुक्त- छंद में है।3.कविता का मानवीकरण किया गया है। 4 लाक्षणिकता है।5.अलंकार:-(I)कविता की उड़ान भला चिड़िया क्या जाने?-वक्रोक्ति अलंकार (ii)चिड़िया क्या जाने?- प्रश्न अलंकार (iii) कविता के पंख लगा- रूपक अलंकार (iv) कविता का खिलना भला फूल क्या जाने?-वक्रोक्ति अलंकार (v) फूल क्या जाने?-प्रश्न अलंकार (vi)अनुप्रास अलंकार:-बाहर-भीतर,इस घर- उस घर,कविता का खिलना भला फूल,बच्चों के बहाने इत्यादि।6.शांत रस है।7.कविता में तुकांतता और भाव की लय का अनूठा योग है।

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